शनिवार, 31 जनवरी 2009
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हमसब अपने आस-पास के वातावरण को रोज़ देखते-सुनते हैं और इसे अपने अनुभव से जोड़ते चले जाते हैं। ये ब्लॉग मेरे इसी अनुभव को व्यक्त करने का जरिया है। मैं अपने आपको सफल मानूंगा अगर मेरा ये 'अनुभव' आपके हृदय कोई जगह बना सके। आप अपनी प्रतिक्रियाएँ जरुर लिखिए।