मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

सांड की सवारी (बुल रायडिंग)

हाथी, घोडे और ऊंट की सवारी तो आप सबने सुन रखी है. चलिए आज मैं आपको सांड की सवारी के बारे में बताता हूँ. पिछले हफ्ते हमलोग 'सिनसिनाटी गार्डन' गए थे. वहां सांड-सवारों की इक पर्तियोगता थी. 'सिनसिनाटी गार्डन' काफी बड़ा इनडोर स्टेडियम है. यहाँ अक्सर कोई न कोई प्रोग्राम होता रहता है. जब हमलोग रात के ८ बजे पहुंचे, तो वहां काफी भीड़ थी. मुझे लगा टिकट नही मिलेगा. पर हमलोगों को टिकट मिल गया और हम स्टेडियम के अन्दर पहुंचे. वहां ३० सांड-सवार पर्तियोगिता में हिस्सा लेने आए हुए थे. पहले तो मुझे लगा ये सांड सवारों को अपने ऊपर बैठने नहीं देंगा और मेरा ये सोंचना ग़लत भी नही नहीं था. जैसे ही पहला सवार सांड के ऊपर बैठा, सांड ने उसे पीठ से जमीन पर पटक दिया. पहला सवार सांड के पैर के नीचे आते आते बचा. सिर्फ़ २-३ सेकंड में काम तमाम. तभी दूसरा सवार अपने सांड के साथ शुरुआत किया और लगभग ४-५ सेकंड में ही वो जमीन पर आ गिरा. तभी सांड ने अपने सिंग से ऊसके पेट पर वार कर दिया और सभी के दिलों की धरकन थोड़े देर के लिए रुक सी गयी. डॉक्टर के आने के बाद भी वो सवार उठ नहीं पाया. १५ मिनट तक ये पर्तियोगिता बंद रही और अंत में दूसके सवार को मैदान से बाहर स्ट्रेचर पर ले जाया गया. इसी तरह बारी बारी से सभी पर्तियोगी सांड की सवारी करते रहे. उन सबो को अधिक से अधिक समय सांड के ऊपर बैठना था. जो सबसे ज्यादा समय तक बैठेगा वही प्रतियोगिता जीत जाएगा. जिस तरह से सांड उचक रहा था और सवार को पटक रहा था, उससे मुझे लग नहीं रहा था की कोई ५ सेकंड से ज्यादा बैठ पायेगा. वहां काफी बच्चे आए हुए थे और वो खूब मजे भी कर रहे थे. दिल थामकर बैठना और और प्रतियोगी को सांड से गिरते देखना बड़ा अजीब लग रहा था. अंत में विजेता की घोषणा हुई और आपको जानकर खुशी होगी की एक प्रतियोगी ने १८ सेकंड तक सांड के ऊपर बैठा रहा. सांड ने लाख कोशिश की पर सवार अपने आपको बचाए रखा. पर वो कब तक खैर मनाता, सांड ने गोल गोल चक्कर मारते हुए अपने पीठ को उचकाया और सवार जमीन पर. पुरे १८ सेकंड उसने सवारी की और प्रतियोगता का विजेता चुना गया.
अगर आपको अगली बार मौका मिले तो जरुर एन्जॉय कीजिये सांड-सवार प्रतियोगिता !

सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

मंगोलियन रेस्टोरेंट

खाने पीने के शौकीन लोगो के लिए सिनसिनाटी बहुत अच्छा शहर है। यहाँ बहुत किस्म के रेस्टोरेंट उपलब्ध हैं, जैसे की इटालियन, फ्रेंच, मैक्सिकन, अमेरिकन, मंगोलियन, चाइनिज़, इंडियन, पाकिस्तानी, तुर्किश इत्यादि।

कल हमलोग मंगोलियन रेस्टोरेंट गए थे। ये मैसन एरिया का एक अच्छा रेस्टोरेंट है। वैसे मुझे यहाँ मंगोल की कोई संस्कृति नहीं दिखायी दी। मुझे ये ज्यादातर अमेरिकन रेस्टोरेंट ही लगा। यहाँ आपको अपने पसंद का मीट चुनना होता है। आप चाहे तो लैम्ब , चिकेन , फिश में से एक या एक से अधीक मीट चुन सकते हैं। आप चाहे तो कुछ सब्जियां भी इसमे मिला लीजिये। मशाले के लिए बहुत सारे आप्सन हैं। पसंद किया सारा समान आपको एक कुक को देना होता है। वो कुक आपके सामने ही, आपके पसंद किए हुए सारी सामग्री को ग्रिल करता हैं। लीजिये आपका डिश तैयार हो गया। आप अपने डिश को चावल या बरिटो के साथ खा सकते हैं।

मैंने लैम्ब, चिकेन, फिश, स्काल्प, क्रैब, प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च, झींगा, लहसुन, अदरख, हॉट सौस इत्यादि को चुना और ग्रिल करवाया। स्वाद उम्मीद से ज्यादा बेहतर था। अपने खाने को मैंने काफी एन्जॉय भी किया। अगर वक्त मिले तो आप भी पहुँच जाइये किसी मंगोलियन रेस्टोरेंट में और मजे कीजिये अपने पसंद के ग्रिल के साथ।

रविवार, 15 फ़रवरी 2009

पीटर पैन म्युजिकल

अमेरिका में ये अच्छी बात है, आपको हर शहर में काफी कुछ देखने को मिल सकता है। खासकर आर्ट के क्षेत्र में तो ये देश बहुत ही आगे है। अच्छे अच्छे थियेटर की यहाँ कमी नहीं है। हर छोटे बारे शहर में आपको कई थियेटर मिल जायेंगे। हमारे सोसाईटी से कल बहुत सारे लोग पीटर पैन म्युजिकल देखने गए। मेरा भी मन था, पर सारे गर्ल्स जा रहे थे, इसलिए नही जा पाया। मुझे लगा इस शो को सिर्फ़ बच्चे ही एन्जॉय कर पाएंगे, पर बडो ने भी इसकी काफी तारीफ की। रोज़मर्रा के जीवन से उकताए लोग मैजीक और म्यूजिक की दुनिया को सबसे अधिक पसंद करते हैं। तभी तो अमेरिका में हैरी -पोर्टर जैसे कैरेक्टर बहुत ही परसिद्ध है।

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेन्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात्

ॐ - स्वर जो अध्यात्म से भरा है। देवों के देव।
भू - धरती या भूमी
र्भुवः - वातावरण
स्वः - वातावरण के अलावा, स्वर्ग
तत् - वो
सवितुर - सूर्य या तेजोमय
वरेण्यं - नमन करने लायक
भर्गो - महत्ता या शक्ति
देवस्य - भगवान
धीमहि - ध्यान करना
धियो - ज्ञान
यो - कौन, उनके सिवा
नः - हमारे या हमें
प्रचोदयात् - देने का आग्रह

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परमपिता परमेश्वर, जो धरती, आकाश और ब्रह्माण्ड के स्वामी हैं। जो दिव्यमान ज्योति हैं और नमन के योग्य हैं। स शक्तिमान देव का मैं ध्यान करता हूँ और उनसे ज्ञान की याचना करता हूँ ।

मैंने दो घंटे से ज्यादा समय ऊपर के भावार्थ को समझने में लगाया, पर अंत में अच्छा लगा गायत्री मंत्र के भाव को समझकर। वर्षों से मैं गायत्री मंत्र पढ़ रहा था बिना मतलब समझे। अब अच्छा लगेगा भाव के साथ मंत्र पढ़कर।

शनिवार, 14 फ़रवरी 2009

वेलेनटाइन-डे का हो-हल्ला

वेलेनटाइन-डे के दिन अमेरिका में तो तो खूब धूम है। पता नही, हमारे भारत में इतना हो-हल्ला क्यों हो रहा है। भई, अपना अपना विचार है। मनाना है तो ठीक, न मनाना है तो भी ठीक। वैसे मुझे इसमे ज्यादा दिलचस्पी नही है। मेरे समझ से कोई एक दिन वेलेनटाइन के लिए तय करना ठीक नही है।

वैसे आज हमलोग भी 'He's Just Not That Into You' मूवी देखने गए थे। मुझे रोमांटिक मूवी पसंद नहीं है , पर ठीक है, चला गया।